१० रुपये का नोट 😭😭😱😭😭

 



  दस रुपये

 

    ताई क्या आपके पास दस रुपये होंगे -  पप्पू ने आँखों में आंशू  भरकर अशोक  की माँ जो की पड़ोस में रहती थीं बहुत ही झगड़ालू व् असभ्य औरत थीं परन्तु माँ थी सो उनसे कहा

क्यों रे पप्पू क्या हुआ तू इतना परेशान क्यों है अशोक की माँ ने ताने मारने वाले लहजे में पूछा 

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अशोक का परिवार जो कि एक पथेर था जो की ईंट पाथने का काम किया करता था। और एक झुग्गी बस्ती में रहा करते थे।  पप्पू की पिता गैस गोदाम में मजदूरी किया करते  और आजकल घर के काम से अपनी छोटी बेटी के साथ गांव गए हुए थे। पप्पू और उसके दो भाई बहन पप्पू के साथ शहर की उस बस्ती में रह रहे थे।

मजदूर होने पर भी पप्पू के माँ  बाप अपने बच्चों को स्कूल भेजा करते और वहीँ पथेरों के बच्चे काम पर जाया करते।

आज पप्पू के माँ बापू को गांव गए एक हफ्ता बीत चुका था। घर का राशन व् सभी सामान ख़त्म हो गया था। पप्पू के साथ उसके छोटे भाई बहन जिनक उम्र लगभग - साल की थी जो की पप्पू से बर्ष छोटे थे उनकी सारी जिम्मेदारी पप्पू पर थी।

  पप्पू जो खुद 12  साल का था आज पड़ोस के घर में उन ताई के सामने हाथ बांधे खड़ा था।  उसे पूरे मौहल्ले में सिर्फ उनपर भरोसा था की वो उसकी मदद कर देंगी क्यूँकि उनके बेटे अशोक और राम उसके मित्र थे पप्पू स्कूल के बाद उनके साथ खेला करता,

ताई की घूरती निगाहें मानो पप्पू को चबा देने वाली थीं। ताई के बार बार  कारण पूछने पर भी पप्पू चुप था

जीवन में पहली बार पप्पू किसी के सामने इस तरह खड़ा था। शर्म झिझक बेइज्जती इन सब का एहसास आज पप्पू को हो रहा था। आँखों के आँशु इस तरह बह रहे थे जो किसी के जिगर पर आर  पार हो जाये।

कुछ देर बाद जब पप्पू कुछ नहीं बोला तो ताई को महसूस हुआ शायद उनका व्यवहार उसे बोलने नहीं दे रहा है। और उन्हें याद आया की इसके मम्मी पापा तो गाँव गए हैं उन्होंने अपनी आवाज में थोड़ा मिठास लाने की कोसिस करते हुए कहा।

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क्या हुआ बेटा तू क्यों रो रहा है और तुझे ये पैसे क्यों चाहिए। पप्पू के घर पर सभी प्यार से बात करते व् रहते थे। उनके व्यवहार से पप्पू वाकिफ था की उनकी जाति व् रहन सहन से उनकी बातें भी कर्कश हैं। छोटी सी उम्र व् पहली बार ऐसी घटना से मानसिक तौर पर भी पप्पू को दुःख हो रहा था। वो अपनी रुंधलाई व् भरी आवाज में बोला

 ताई मेरे भाई बहन ने कल से कुछ नहीं खाया है। मम्मी पापा भी गाँव गए हैं बहुत दिन हो गए हैं अगर आप मुझे १० रूपये दे दोगी तो मैं एक किलो चावल ले आऊंगा और अपने भाई बहन को खिला दूंगा।  म.... मुझे सिर्फ १० रुपये दे दीजिये पप्पू की आवाज में इस कदर मजबूरी झलक रही थी कि ताई को पप्पू पर दया आ गयी, अपने व्यवहार के विपरीत उनका आचरण देख कर पप्पू रोने लगा उन्होंने पप्पू की बातें सुनी तो उनका भी गला भर आया , वो अंदर गयी और १० रूपये लेकर आयी और पप्पू को देते हुए बोली मुझे कल लौटा देना। पप्पू ने कहा : ताई आज शाम तक मेरे मम्मी पापा आ जायेंगे तो कल सुबह ही मैं आपके पैसे लौटा दूंगा। कल की चिंता छोड़ पप्पू दूकान गया वो समय सस्ते का था। १० रुपये में चावल, नमक व् कम कम लेकिन रोजमर्रा का सामान आ जाया करता था। पप्पू एक किलो चावल लेकर आया साथ में दोनों भाई बहन के लिए कुछ चीज भी, उसने खाना बनाया और मनोज और मालू को खिलाया। उसे पता नहीं था कि ये १० रुपये उसके लिए मुसीबत बनने की तैयारी व् जिन्दगी को तहस नहस करने की तैयारी कर रहे थे।  उन दिनों मोबाइल व् फ़ोन जैसे संसाधन नहीं थे। माता पिता की खबर पाना भी मुश्किल था। घर में राशन ख़त्म हो चुका था ऊपर से पप्पू पर  12 साल की उमर में १० रुपये का कर्ज चढ़ चुका था। रोज की तरह एक शाम और माता पिता के आने की उम्मीद में निराश होकर ढल चुकी थी ,अगली सुबह के जद्दो जहद में। पप्पू कल के आने वाली परेशानी व् भाई बहन की जिम्मेदारी वो कैसे निभा पायेगा ये सोच सोच कर  रात भर सो नहीं पाया । ये उम्र व् इस पर ऐसी मुश्किल उसको झकझोड़ के रखने वाली थी।  वो १० रुपये का नोट भी उसे परेशान कर रहा था की वो ताई को कल कैसे वो पैसे देगा। अगली सुबह व् अपने माता पिता का इन्तजार करते करते व् सिसकते हुए पप्पू सो गया।

१० रुपये का वह नोट अगले दिन अपनी पावर दिखाने वाला था। सो वही हुआ जिसका पप्पू को डर  था

अगली सुबह दरवाजा खटखटाने व् बहुत ही कर्कश आवाज के साथ पप्पू की नींद खुली बच्चा ही तो था  ,मन में डर इस कदर बैठ गया की वो रोने लगा।  बहार ताई थी जिनसे उसने १० रुपये लिए थे ताकि अपने भाई बहन को खाना खिला सके।

ताई : क्यों रे पप्पू कहाँ मर गया तू तो मेरे घर मेरे पैसे देने आने वाला था कल तो बड़ा रो रहा था की मेरे भाई बहन भूखें हैं मेरे पैसे क्यों नहीं लौटाए तूने।  और साथ ही पप्पू के माँ बाप को भी गालियां करने लगी की इतने छोटे बच्चे छोड़कर एक हफ्ते से गहिना कर रहे हैं बेशरम कही के।  घर में नहीं  दाने अम्मा चली भुनाने कुछ इस तरह के ताने मारने लगी।

पप्पू बोला ताई आज मेरे मम्मी पापा पक्के जायेंगे तो आपके पैसे जरूर लौटा दूंगा अपने भाई बहनो की कसम खाई तब जाके ताई शाम तक के लिए ठहरी। और शाम को आउंगी बोलकर और खाने को है नहीं बड़े आये स्कूल भेजने वाले ऐसा बड़बड़ाते हुए चली गयी  माता पिता की कोई जानकारी होने  शाम का वादा करने के कारण १२ साल का वो बच्चा अब एक भंवर में फंस गया था वो क्या करे कुछ समझ नहीं रहा था।

उस बस्ती के कुछ लोग सीमेंट की गाड़ियों में काम किया करते थे १2 वर्ष का पप्पू आज १० रुपये लौटने के लिए  मजदूरी करने हो तैयार हो गया।  सीमेंट का एक कट्टा ५० किलो वजन पप्पू के सर पर रखते ही  मनो उसकी गर्दन ही टूट गयी हो। अपने आंसुओं व् हिम्मत को बांधते हुए काम पर जुट गया सीमेंट के बड़े ट्रक लगभग १०० ५० किलों के कट्टे पप्पू मनो अधमरा सा हो गया , भाई बहन की भूख व् वो १० रूपया जो उसे लौटने थे हिम्मत देते गयी।  जैसे तैसे काम पूरा हुआ और उसने १५० रुपये कमाए।  पप्पू बहुत खुश हुआ।  घर पहुंचते ही सबसे पहले वो उन ताई के पास गया उनके १० रूपये लौटाए व् हाथ जोड़कर धन्यवाद किया और आँखों में आंसू लेकर अपने भाई बहन के पास गया उनके लिए सामान लाया।  अब पप्पू की जिंदगी बदल चुकी थी १० का वो नोट अब भी उसकी आँखों में रेत के उस कंकड़ की तरह चुभ रहा था जिसे निकल पाना तो मुश्किल होता है लेकिन आँशु नहीं रुकते।  अब पप्पू भी पढाई के हटकर मजदूरी जैसे भी मिलती करने लगा।  ये  १० रूपये उसकी जिंदगी को जहन्नुम बना गए।

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    दोस्तों मजबूरी और जिम्मेदारियां एक साथ रहती हैं। कभी कभी ही ऐसा होता है की मजबूरी किसी को काबिल व् किसी को बर्बाद कर देती है। जब आपकी जम्मेदारियाँ सक्षम हो जाती हैं तो आपके अपने त्याग व् बलिदान के साथ जीने को विवश होना पड़ता है। हौंसला रखिये हिम्मत मत हारिये कदम -कदम चलने से ही मंजिल मिलेगी। 

                                                                                                                 

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