राधा
राधा
राधा एक बूढी औरत थी वो दो बेटों और दो बेटियों के होते हुए भी आज इस अवस्था में अपने दोनों बेटों के अपने घर होते हुए भी किराये के मकान में पति के साथ रहने हो विवश थी। पति किसी हाउसिंग अपार्टमेंट में सिक्योरिटी गार्ड का काम किया करते थे। कमरे का किराया व् घर खर्च चल जाया करता था।
पति की उम्र अब काम करने की नही थीं परन्तु घर चलाने व् पेट की भूख मिटाने को काम करना मजबूरी थी।
पति १२ घंटे की नौकरी करते और राधा घर पर दिनभर अपने नाती पोतों के ख्याल में सोच सोच कर दिन काट लिया करती वो अक्सर अपनी जवानी के दिनों में अपने बच्चों की
याद में खोई रहती। किस तरह उन्होंने अपने बच्चो
को पढ़ाया लिखाया उनका पालन पोषण किया। लोगों के जूठे बर्तन साफ़ किये झाड़ू पोंछा व्
मजदूरी करके उनको एक आसान जिंदगी देने की कोशिश की। न जाने कहाँ कौन सी कमी रह गयी थी जो उसने अपने
बुढ़ापे के जो सहारे तैयार किये थे उनके होते हुए भी आज वो अकेली रह गयी। ये सोच सोच
कर अक्सर उसके आंशू आ जाया करते। कभी कभी तो उदासी इस कदर हो जाया करती की वो खाना
व् पानी पीना भी मुश्किल हो जाती
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राधा के दो बेटे थे राजेश और मनोज दोनों भाई व् दो बेटियां थीं। चारो भाई बहनो में बड़ा प्रेम था। बड़े बेटे को वो इंजीनयर बनाना चाहते थे परन्तु घर के स्थिति न होने के वावजूद उसका दाखिला करा दिया मनोज व् अन्य अभी छोटे थे सो उनका दाखिला भी स्कूल में करा दिया। मनोज जो थोड़ा चंचल व् हाजिर जवाब था रंग का सांवला होने के बावजूद वो सबको अपने हाजिर जवाबी से अपना कायल बना लिया करता बड़ा भाई शांत व् सरल स्वाभाव व् छोटा बेटा थोड़ा चंचल मजाकिया व् हाजिरजवाबी के कारन मोहल्ले में सभी उनको प्यार करते व् वो सभी के चेहते थे। मोहल्ले में वो सभी से रिश्ता बना लिया करते कोई चाची कोई ताई व् नए रिश्ते बना लेते, आज सबकी शादियां हो चुकी थी सभी के बच्चे भी थे। झोपड़ी में रहने वाले आज पक्के मकान में रहने लगे
थे लेकिन आज पक्के मकान में रहने वाले खुशमिजाज व् अच्छे लोग इस कदर बदल गए कि आज एक
दूसरे की सकल तक देखना पसंद नहीं करते दोनों बेटे न जाने किस कारन एक दूसरे से इस कदर
चिढ़े हुए थे कि एक दूसरे को देखकर अपना रास्ता बदल लिया करते। राधा जानती थी किस तरह
उसने अपने बच्चों को पाला था आज उनके इस रवैय्ये से वो दुखी थी। राधा के दोनों बेटे
बड़े ही होनहार थे बड़ा शांति व् समझदार था तो छोटा सबका चहेता व् हिम्मतवाला था। बड़ा
भाई जब घर से नौकरी के लिए गया था अनजान शहर में अपनों द्वारा ठगा गया। छोटे बेटे पर
घर की जिम्मेदारियां आने से उसने अपनी पढाई छोड़ कर मजदूरी का रास्ता चुना। पिता बीमार रहते बड़ा भाई बाहर रहता दो छोटी बहनें
थीं घर में भूख व् गरीबी पूरी तरह आ चुकी थी
बड़े भाई के घर से नौकरी में जाने के बाद उसने घर की सारी जिम्मेदारियां निभायीं।
पिता का कर्ज भी धीरे धीरे उतारा। मेहनत मजदूरी
ने छोटे बेटे को मजबूत बना दिया था शरीर व् दिमाग दोनों से। वो. वो साथ में किसी मार्केटिंग
कंपनी से जुड़ गया और धीरे धीरे तरक्की करता गया उसने वहाँ से कार जीती अपना रहन सहन
थीं किया व एक लड़की को पसंद कर शादी कर ली झगडे का कारण इतना था ' गो टू हेल ' ये वो शब्द हैं जो राधा के बड़े बेटे ने
अपने छोटे भाई को गुस्से में बोल दिए थे। बात
तब की है जब छोटे बेटे ने शादी कर ली थी और बड़ा बेटा अभी भी कुंवारा था व् दूर किसी शहर में नौकरी किया करता था। छोटा बेटा
अपनी पत्नी के साथ राधा व् अपने पुरे परिवार के साथ रहा करता था। छोटे बेटे
की पत्नी थोड़ा गुस्सैल व् एडवांस किस्म की थी वो परिवार को अपने हिसाब से चलना चाहती
थी परन्तु राधा व् उसका परिवार पुराने सोच विचार का था। बड़े बेटे ने अपनी कमाई से कुछ महीने पहले ही घर
खरीदा था। वर्षों किराये के घर में रहने के
आज वो अपने घर में आयी थी। घर में खुशियों का दौर चल रहा था नया घर नयी बहु सब अच्छा
चल रहा था। पता नहीं इसके अलावा राधा के घर परिवार में न जाने कोई सी चिंगारी सुलग
रही थी या यूँ कहो किसी की आँखों को राधा का परिवार खटक रहा था जो उसके घर में क्लेश
शुरू होने लगा और आये दिन किसी न किसी बात पर राधा बहु से या राधा की बेटियां किसी
न किसी बात पर उसकी बहु को ताने मारते व् घर में रोज किसी का किसी न किसी वजह से मुँह
फूला रहता। छोटे बेटे को अपने काम में भी अड़चनें
आने लगी व् घर के माहौल से उसका दिल भी उखड़ने लगा अब वो भी सभी से दूर जाने का बहाना
ढूढ़ने लगा।
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एक दिन जब राधा का बड़ा बेटा काम पर जा रहा था तब आधे रस्ते पर पंहुचा ही होगा तो राधा रोते हुए कॉल करती है कि छोटा बेटे की बीवी घर में झगड़ा कर रही है और घर छोड़ के जाने की बात कर रही है। उसका बेटा उनसे आपस में बात सुलझाने के लिए बोलता है। तभी छोटा बेटा भी कॉल करके बोलता है मैं घर छोड़ के जा रहा हूँ। बड़े बेटे ने "गो टू हेल "बस ये शब्द कहे ही थे तो उसने कॉल काट काट दी। और घर से चला गया और तब से घर नहीं लौटा।
राधा की आधी जिंदगी मानो ख़त्म सी हो गयी। कहते हैं जब दो बिल्लियों में झगड़ा हो रहा हो तो किसी बन्दर हो इसका फायदा हो जाया करता है राधा के दोनों बच्चे भी इसी का शिकार हुए थे।
आज इसी कारण राधा अपने पति संग इस बुढ़ापे में अकेली रहने हो तैयार थी। दोस्तों किसी की बातों में आकर अपने माँ बाप को परेशानी मत दिया करो। भाई भाई में बैर मत रखा करो एक कोख से पैदा होते हुए भी अलग जिंदगी बिताने का दर्द।
भाई हर दुःख में खड़ा रहता है। एक भाई ही होता है जो छुप छुप कर दूसरे की तरक्की देखता है एक भाई ही है जो भाई की तरक्की से खुश होता है।
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और माँ बाप जब तक जिन्दा हैं आपके हैं और जब तक माँ बाप सर पर हैं तो पूरी कायनाथ आपकी हैं। दुनिया का कोई बड़ी से बड़ी ताकत माँ बाप व् भाई की ताकत नहीं के आगे कुछ नहीं है।
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