थोड़ी मदद
एक समय की बात है, एक गांव में एक गरीब परिवार रहता है। परिवार के दो बच्चे थे, एक लड़का और एक लड़की। उनके मा-बाप दिन रात मेहनत करते थे, लेकिन फिर भी उनकी जिंदगी बहुत मुसिबत से भरी हुई थी।
एक दिन, भयानक एक आग लग गई गांव में और वो परिवार जिसके पास रहने वाले थे, उस आग में सब कुछ खो बैठे। उनकी मकान जल गई, सारी बचत जल गई और सबसे बड़ी त्रासदी तो ये थी कि उनके मा-बाप आग में ही जल गए। उन दोनो बच्चो को अकेला छोड़ गई ये दुख घाटना।
लड़का और लड़की अब बिलकुल तन्हा हो गए। उन्हें कोई नहीं था जो उन्हें सहारा दे खातिर। उनके पास बस ख्वाब द और उम्मीद की एक नई जिंदगी की। पर मुश्किलें ऐसी थी कि वो दोनो बच्चे भुखे और बेघर हो गए।
दिन गुज़रते गए और वो दोनों बच्चे बड़े कमज़ोर हो गए। किसी ने उनकी मदद करने की बजाए उन्हें तड़पाया। वो लोग उन्हें झगडा करने, उन्हें काम करने और उन्हें अपमान करने लगे। दुख से उनकी आंखें नाम हो गई, लेकिन कोई सुनने वाला नहीं था उनकी दर्द भरी पुकार।
लडका और लड़की के जीवन में अंधा च गया था। वो दोनो अब सिर्फ अपने आप को जिंदगी के कई संकट में फंसे हुए महसूस कर रहे हैं। वो दोनो अपने बिछड़े मा-बाप की यादों में रोते थे, पर कुछ नहीं कर सकते थे।
इस तरह एक दिन, जब दोनो बच्चे बिलकुल टूट चुके थे, एक अच्छे दिल वाला आदमी उन्हें देख उनके पास आया। उसे दोनो को प्यार से समझौता और अपने घर ले जाने का आमंत्रण दिया। वो दोनो बच्चे उसके पास चले गए और वहां नहीं प्यार, सम्मान और परिवार की महसूस हुई।
परिवार में लड़का और लड़की ने नई जिंदगी की शुरुआत की। उन्हीं पढाई, प्यार और संभावना मिली। लड़का अपना सपना सच करने का मौका पाया और लड़की ने भी अपने कला को और आगे बढ़ाया। वो दोनो खुश द अपने नए परिवार के साथ।
ये कहानी हमें सीखती है कि जिंदगी में कभी-कभी ऐसी त्रासदी होती हैं, जो हमें टूटने पर मजबूर कर देती हैं। लेकिन अगर हम थोड़ी मदद और प्यार का हाथ बढ़ायें, तो हम दोबारा खुद को जोड़ सकते हैं और नई रोशनी की तरफ बढ़ा सकते हैं।
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