प्रिया की कहानी

 एक समय की बात है, एक छोटे से गांव में एक परिवार रहता था। इस परिवार में एक प्यारी बेटी हुई, जिसका नाम था प्रिया। प्रिया एक बहुत ही संवेदनशील और बुद्धिमान बच्ची थी।

परिवार के लोग उसे बहुत प्यार करते थे और उसे अच्छी शिक्षा और सुख-शांति की जिंदगी देना चाहते थे। लेकिन दुर्भाग्य से, इस समय समाज में ऐसी सोच फैली हुई थी कि बेटियां परिवार का बोझ होती हैं और उन्हें एक दिन तो पराया होना ही है।

प्रिया के माता-पिता ने उसे सबसे अच्छी शिक्षा दी और उसके लिए आरामदायक जीवन सुनिश्चित किया। वे उसे संघर्षों से बचाने की कोशिश करते रहे, लेकिन समाज की दबाव में उन्हें अपनी बेटी के लिए अच्छा दामाद ढूंढने में बहुत कठिनाई आई।

एक दिन, एक युवक उनके घर आया। यह युवक नाम था रवि। रवि एक समाजसेवी था और उसे समाज की समस्याओं को हल करने का आदर्श मानता था। उसने प्रिया के पिता को बताया कि उसकी एक मित्रा है, जो एक अच्छा और समझदार युवक है।

रवि ने अपने मित्रा की तरफ से एक प्रस्ताव रखा कि वह प्रिया से विवाह करना चाहता है। प्रिया के पिता ने रवि को एक मौका दिया और उन्होंने उसे अपनी बेटी से मिलवाया। प्रिया और रवि एक दूसरे के साथ समय बिताने लगे और उन्होंने एक दूसरे को अच्छी तरह समझ लिया।

बाद में, प्रिया के पिता ने इस विवाह को स्वीकार कर लिया और प्रिया ने रवि के साथ शादी की। उसके बाद से, प्रिया की माता-पिता ने उसे सबसे अधिक प्यार और समर्पण दिया। उन्होंने उसे स्वतंत्रता दी और उसके सपनों का समर्थन किया।

इस कहानी से हमें यह सिख मिलती है कि माता-पिता हमारे लिए सबसे महत्वपूर्ण होते हैं। उनका प्यार, समर्पण, और समर्थन हमें आत्मविश्वास और सफलता के लिए शक्ति प्रदान करता है। हमें उनके साथ संघर्ष करने और उनके साथ हर खुशी और दुःख का अनुभव करने की गहरी श्रद्धा रखनी चाहिए।

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